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समास
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समास
‘समास’ श�द का शा��दक अथ� ह–ै स�ं��त करना। सम+्आस =्‘सम’् का अथ� ह–ै अ�छ� तरह पास एव ‘ंआस’् का अथ� ह–ै बठैना या�मलना। अथा�त द्ो श�द� को पास–पास �मलाना।
‘जब पर�पर स�ब�ध रखन वेाल देो या दो स अे�धक श�द� के बीचक� �वभ�� हटाकर, उ�ह��मलाकर जब एक नया �वत�� श�द बनायाजाता ह,ै तब इस मले को समास कहत हे�।’
पर�पर �मल �ेए श�द� को सम�त–पद अथा�त स्मास �कया �आ, यासामा�सक श�द कहत हे�। जसै–े यथाश��, ��भवुन, रामरा�यआ�द।
सम�त पद के श�द� (�मल �ेए श�द�) को अलग–अलग करन के����या को 'समास–�व�ह' कहत हे�। जसै–े यथाश�� = श�� केअनसुार।
�ह�द� म�समास �ायः नए श�द–�नमा�ण हते �ुयोग म��लए जात हे�।भाषा म�स�ं��तता, उ�कृ�ता, ती�ता व गभंीरता लान केे �लए भीसमास उपयोगी ह�। समास �करण स�ंकृत सा�ह�य म�अ�त �ाचीन�तीत होता ह।ै �ीम�गव��ता म�भगवान �ीकृ�ण न भेी कहाह—ै“म�समास� म���� समास म��।ँ”
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�जन दो म�ुय श�द� के मले स सेमास बनता ह,ै उन श�द� को ख�डया अवयव या पद कहत हे�। सम�त पद या सामा�सक पद का �व�हकरन पेर सम�त पद के दो पद बन जात हे�– पवू� पद और उ�र पद।जसै–े घन�याम म�‘घन’ पवू� पद और ‘�याम’ उ�र पद ह।ै
�जस ख�ड या पद पर अथ� का म�ुय बल पड़ता ह,ै उस �ेधान पदकहत हे�। �जस पद पर अथ� का बल नह� पड़ता, उस गेौण पद कहतेह�।
इस आधार पर (स�ंकृत क� ��� स)े समास के चार भदे मान गेए ह�–
1. �जस समास म�पवू� पद �धान होता ह,ै वह—‘अ�यीभाव समास’।
2. �जस समास म�उ�र पद �धान होता ह,ै वह—‘त�प�ुष समास’।
3. �जस समास म�दोन� पद �धान ह�, वह—‘��� समास’ तथा
4. �जस समास म�दोन� पद� म�स केोई �धान न हो, वह—‘ब��ी�हसमास’।
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�ह�द� म�समास के छः भदे �च�लत ह�। जो �न�न �कार ह�—
1. अ�यीभाव समास
2. त�प�ुष समास
3. ��� समास
4. ब��ी�ह समास
5. कम�धारय समास
6. ��ग सुमास।
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1. अ�यीभाव समास–�जस सम�त पद म�पहला पद अ�य होता ह,ै अथा�त अ्�य पद केसाथ �सर पेद, जो स�ंा या कुछ भी हो सकता ह,ै का समास �कयाजाता ह,ै उस अे�यीभाव समास कहत हे�। �थम पद के साथ �मलजान पेर सम�त पद ही अ�य बन जाता ह।ै इन सम�त पद� का�योग ��या�वशषेण के समान होता ह।ै
अ�य श�द व हे��जन पर काल, वचन, प�ुष, �लगँ आ�द का कोई�भाव नह� पड़ता अथा�त �्प प�रवत�न नह� होता। य शे�द जहा भँी�य�ु �कय जेात हे�, वहा उँसी �प म�ही रह�ग।े जसै–े यथा, ��त, आ,हर, ब,े �न आ�द।
पद के ��या �वशषेण अ�य क� भा�ँत �योग होन पेर अ�यीभावसमास क� �न�ना�ंकत ��थ�तया बँन सकती ह�–
(1) अ�य+अ�य–ऊपर-नीच,े दाए-ँबाए,ँ इधर-उधर, आस-पास,जसै-ेतसै,े यथा-श��, य�-त�।
(2) अ�य� क� पनु���– धीर-ेधीर,े पास-पास, जसै-ेजसै।े
(3) स�ंा+स�ंा– नगर-डगर, गावँ-शहर, घर-�ार।
(4) स�ंाआ�क� पनु���– �दन-�दन, रात-रात, घर-घर, गावँ-गावँ, वन-वन।
(5) स�ंा+अ�य– �दवसोपरा�त, �ोध-वश।
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(6) �वशषेण स�ंा– ��त�दवस, यथा अवसर।
(7) कृद�त+कृद�त– जात-ेजात,े सोत-ेजागत।े
(8) अ�य+�वशषेण– भरसक, यथास�भव।
अ�यीभाव समास के उदाहरण:
सम�त–पद — �व�ह
यथा�प – �प के अनसुार
यथायो�य – �जतना यो�य हो
यथाश�� – श�� के अनसुार
��त�ण – ��यके �ण
भरपरू – परूा भरा �आ
अ�य�त – अ�त स अे�धक
रात�रात – रात ही रात म�
अन�ुदन – �दन पर �दन
�नर�� – र�� स रे�हत
आमरण – मरन तेक
आज�म – ज�म स लेकेर
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आजीवन – जीवन पय��त
��तशत – ��यके शत (सौ) पर
भरपटे – पटे भरकर
��य� – अ�� (आखँ�) के सामने
�दन��दन – �दन पर �दन
साथ�क – अथ� स�हत
स�सगं – �सगं के साथ
��य�ुर – उ�र के बदल उे�र
यथाथ� – अथ� के अनसुार
आकंठ – कंठ तक
घर–घर – हर घर/��यके घर
यथाशी� – �जतना शी� हो
��ापवू�क – ��ा के साथ
अन�ुप – जसैा �प ह वैसैा
अकारण – �बना कारण के
हाथ� हाथ – हाथ ही हाथ म�
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बधेड़क – �बना धड़क के
��तपल – हर पल
नीरोग – रोग र�हत
यथा�म – जसैा �म है
साफ–साफ – �ब�कुल �प�
यथ�ेछ – इ�छा के अनसुार
��तवष� – ��यके वष�
�न�व�रोध – �बना �वरोध के
नीरव – रव (�व�न) र�हत
बवेजह – �बना वजह के
��त�ब�ब – �ब�ब का �ब�ब
दानाथ� – दान के �लए
उपकूल – कूल के समीप क�
�मानसुार – �म के अनसुार
कमा�नसुार – कम� के अनसुार
अतं��था – मन के अदंर क� �था
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यथासभंव – जहा तँक सभंव हो
यथावत –् जसैा था, वसैा ही
यथा�थान – जो �थान �नधा��रत है
��यपुकार – उपकार के बदल �ेकया जान वेाला उपकार
मदं–मदं – मदं के बाद मदं, ब�त ही मदं
2. त�प�ुष समास–�जस समास म��सरा पद अथ� क� ��� स �ेधान हो, उस ते�प�ुषसमास कहत हे�। इस समास म�पहला पद स�ंा अथवा �वशषेण होताह इैस�लए वह �सर पेद �वश�ेय पर �नभ�र करता ह,ै अथा�त �्सरा पद�धान होता ह।ै त�प�ुष समास का �लगँ–वचन अ�ंतम पद केअनसुार ही होता ह।ै जसै–े जलधारा का �व�ह ह–ै जल क� धारा।‘जल क� धारा बह रही ह’ै इस वा�य म�‘बह रही ह’ै का स�ब�ध धारास हे जैल स नेह�। धारा के कारण ‘बह रही’ ��या ��ी�लगँ म�ह।ै यहाँबाद वाल शे�द ‘धारा’ क� �धानता ह अैतः यह त�प�ुष समास ह।ै
त�प�ुष समास म��थम पद के साथ क�ा� और स�बोधन कारक� कोछोड़कर अ�य कारक �च�� (�वभ��य�) का �ायः लोप हो जाता ह।ैअतः पहल पेद म��जस कारक या �वभ�� का लोप होता ह,ै उसीकारक या �वभ�� के नाम स इेस समास का नामकरण होता ह।ै
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जसै –े ��तीया या कम�कारक त�प�ुष = �वग��ा�त – �वग� को�ा�त।
कारक �च� इस �कार ह�–
�.स.ं कारक का नाम �च�
1— कता� – ने
2— कम� – को
3— करण – स (ेके �ारा)
4— स��दान – के �लए
5— अपादान – स (ेपथृक भाव म�)
6— स�ब�ध – का, क�, के, रा, री, रे
7— अ�धकरण – म�, पर, ऊपर
8— स�बोधन – ह!े, अर!े ओ!
चूँ�क त�प�ुष समास म�कता� और सबंोधन कारक–�च�� का लोपनह� होता अतः इसम�इन दोन� के उदाहरण नह� ह�। अ�य कारक�च�� के आधार पर त�प�ुष समास के भदे इस �कार ह�–
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(1) कम� त�प�ुष –
सम�त पद �व�ह
ह�तगत – हाथ को गत
जा�तगत – जा�त को गया �आ
मुँहतोड़ – मुँह को तोड़न वेाला
�ःखहर – �ःख को हरन वेाला
यश�ा�त – यश को �ा�त
पद�ा�त – पद को �ा�त
�ामगत – �ाम को गत
�वग� �ा�त – �वग� को �ा�त
दशेगत – दशे को गत
आशातीत – आशा को अतीत(स पेर)े
�चड़ीमार – �चड़ी को मारन वेाला
कठफोड़वा – का� को फोड़न वेाला
�दलतोड़ – �दल को तोड़न वेाला
जीतोड़ – जी को तोड़न वेाला
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जीभर – जी को भरकर
लाभ�द – लाभ को �दान करन वेाला
शरणागत – शरण को आया �आ
रोजगारो�मखु – रोजगार को उ�मखु
सव�� – सव� को जानन वेाला
गगनच�ुबी – गगन को चमून वेाला
परलोकगमन – परलोक को गमन
�च�चोर – �च� को चोरन वेाला
�या�त �ा�त – �या�त को �ा�त
�दनकर – �दन को करन वेाला
�जत�े��य – इ�ं�य� को जीतन वेाला
च�धर – च� को धारण करन वेाला
धरणीधर – धरणी (प�ृवी) को धारण करन वेाला
�ग�रधर – �ग�र को धारण करन वेाला
हलधर – हल को धारण करन वेाला
मरणातरु – मरन केो आतरु
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कालातीत – काल को अतीत (पर)े करके
वय�ा�त – वय (उ�) को �ा�त
(ख) करण त�प�ुष –
तलुसीकृत – तलुसी �ारा कृत
अकालपी�ड़त – अकाल स पेी�ड़त
�मसा�य – �म स सेा�य
क�सा�य – क� स सेा�य
ई�रद� – ई�र �ारा �दया गया
र�नज�ड़त – र�न स जे�ड़त
ह�त�ल�खत – ह�त स �ेल�खत
अनभुव ज�य – अनभुव स जे�य
रखेा�ंकत – रखेा स अे�ंकत
ग�ुद� – ग�ु �ारा द�
सरूकृत – सरू �ारा कृत
दया�� – दया स आे��
मुँहमागँा – मुँह स मेागँा
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मदम� – मद (नश)े स मे�
रोगातरु – रोग स आेतरु
भखुमरा – भखू स मेरा �आ
कपड़छान – कपड़ से छेाना �आ
�वय�ंस� – �वय सं �ेस�
शोकाकुल – शोक स आेकुल
मघेा�छ� – मघे स आे�छ�
अ�पुणू� – अ� सु पेणू�
वचनब� – वचन स बे�
वा�य�ु – वाक् (वाणी) स ये�ु
�धुातरु – �धुा स आेतरु
श�य�च�क�सा – श�य (चीर-फाड़) स �ेच�क�सा
आखँ�दखेा – आखँ� स देखेा
(ग) स��दान त�प�ुष –
दशेभ�� – दशे के �लए भ��
ग�ुद��णा – ग�ु के �लए द��णा
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भतूब�ल – भतू के �लए ब�ल
�ौढ़ �श�ा – �ौढ़� के �लए �श�ा
य�शाला – य� के �लए शाला
शपथप� – शपथ के �लए प�
�नानागार – �नान के �लए आगार
कृ�णाप�ण – कृ�ण के �लए अप�ण
य�ुभ�ूम – य�ु के �लए भ�ूम
ब�लपश –ु ब�ल के �लए पशु
पाठशाला – पाठ के �लए शाला
रसोईघर – रसोई के �लए घर
हथकड़ी – हाथ के �लए कड़ी
�व�ालय – �व�ा के �लए आलय
�व�ाम�ंदर – �व�ा के �लए म�ंदर
डाक गाड़ी – डाक के �लए गाड़ी
सभाभवन – सभा के �लए भवन
आवदेन प� – आवदेन के �लए प�
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हवन साम�ी – हवन के �लए साम�ी
कारागहृ – कै�दय� के �लए गहृ
परी�ा भवन – परी�ा के �लए भवन
स�या�ह – स�य के �लए आ�ह
छा�ावास – छा�� के �लए आवास
यवुवाणी – यवुाआ�के �लए वाणी
समाचार प� – समाचार के �लए प�
वाचनालय – वाचन के �लए आलय
�च�क�सालय – �च�क�सा के �लए आलय
बदं�गहृ – बदं� के �लए गहृ
(घ) अपादान त�प�ुष –
रोगम�ु – रोग स मे�ु
लोकभय – लोक स भेय
राज�ोह – राज स �ेोह
जल�र� – जल स �ेर�
नरकभय – नरक स भेय
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दशे�न�कासन – दशे स �ेन�कासन
दोषम�ु – दोष स मे�ु
बधंनम�ु – बधंन स मे�ु
जा�त�� – जा�त स �े�
कत���यतु – कत�� से
3- ��� समास –�जस सम�त पद म�दोन� अथवा सभी पद �धान ह� तथा उनके बीचम�सम�ुचयबोधक–‘और, या, अथवा, आ�द’ का लोप हो गया हो, तोवहा �ँ�� समास होता ह।ै जसै –े
अ�जल – अ�और जल
दशे–�वदशे – दशे और �वदशे
राम–ल�मण – राम और ल�मण
रात–�दन – रात और �दन
ख�ामीठा – ख�ा और मीठा
जला–भनुा – जला और भनुा
माता–�पता – माता और �पता
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�धरोट� – �ध और रोट�
पढ़ा–�लखा – पढ़ा और �लखा
ह�र–हर – ह�र और हर
राधाकृ�ण – राधा और कृ�ण
राध�ेयाम – राध औेर �याम
सीताराम – सीता और राम
गौरीशकंर – गौरी और शकंर
अड़सठ – आठऔर साठ
प�चीस – पाचँ और बीस
छा�–छा�ाए –ँ छा� और छा�ाएँ
क�द–मलू–फल – क�द और मलू और फल
ग�ु–�श�य – ग�ु और �श�य
राग–�षे – राग या �षे
एक–दो – एक या दो
दस–बारह – दस या बारह
लाख–दो–लाख – लाख या दो लाख
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पल–दो–पल – पल या दो पल
आर–पार – आर या पार
पाप–प�ुय – पाप या प�ुय
उ�टा–सीधा – उ�टा या सीधा
कत��ाकत�� – कत�� अथवा अकत��
सखु–�ख – सखु अथवा �ख
जीवन–मरण – जीवन अथवा मरण
धमा�धम� – धम� अथवा अधम�
लाभ–हा�न – लाभ अथवा हा�न
यश–अपयश – यश अथवा अपयश
हाथ–पावँ – हाथ, पावँ आ�द
नोन–तले – नोन, तले आ�द
�पया–पसैा – �पया, पसैा आ�द
आहार–�न�ा – आहार, �न�ा आ�द
जलवाय –ु जल, वाय आु�द
कपड़–ेल� –े कपड़,े ल� आे�द
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ब�–बटे� – ब�, बटे� आ�द
पाला–पोसा – पाला, पोसा आ�द
साग–पात – साग, पात आ�द
काम–काज – काम, काज आ�द
खते–ख�लहान – खते, ख�लहान आ�द
लटू–मार – लटू, मार आ�द
पड़े–पौध –े पड़े, पौध आे�द
भला–बरुा – भला, बरुा आ�द
दाल–रोट� – दाल, रोट� आ�द
ऊँच–नीच – ऊँच, नीच आ�द
धन–दौलत – धन, दौलत आ�द
आगा–पीछा – आगा, पीछा आ�द
चाय–पानी – चाय, पानी आ�द
भलू–चकू – भलू, चकू आ�द
फल–फूल – फल, फूल आ�द
खरी–खोट� – खरी, खोट� आ�द
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4 - ब��ी�ह समास –�जस सम�त पद म�कोई भी पद �धान नह� हो, अथा�त स्मास �कयेगय देोन� पद� का शा��दक अथ� छोड़कर तीसरा अथ� या अ�य अथ��लया जाव,े उस बे��ी�ह समास कहत हे�। जसै –े 'ल�बोदर' कासामा�य अथ� ह–ै ल�ब उेदर (पटे) वाला, पर�त लु�बोदर सामास म�अ�य अथ� होगा – ल�बा ह उैदर �जसका वह—गणशे।
अजानबुा� – जानआु�(घटुन�) तक बा�ए हँ��जसक� वह—�व�णु
अजातश� –ु नह� पदैा �आ श� �ुजसका—कोई ��� �वशषे
व�पा�ण – वह �जसके पा�ण (हाथ) म�व� ह—ैइ��
मकर�वज – �जसके मकर का �वज ह वैह—कामदवे
र�तकातं – वह जो र�त का कातं (प�त) ह—ैकामदवे
आशतुोष – वह जो आश (ुशी�) त�ु हो जात हे�—�शव
पचंानन – पाचँ ह आैनन (मुँह) �जसके वह—�शव
वा�दवेी – वह जो वाक् (भाषा) क� दवेी ह—ैसर�वती
य�ुध��र – जो य�ु म���थर रहता ह—ैधम�राज (�य�े पा�डव)
षडानन – वह �जसके छह आनन ह�—का�त�केय
स�तऋ�ष – व जेो सात ऋ�ष ह�—सात ऋ�ष �वशषे �जनके नाम
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�न��त ह�
��वणेी – तीन व�ेणय� (न�दय�) का सगंम�थल—�याग
पचंवट� – पाचँ वटव�ृ� के समहू वाला �थान—म�य �दशे म��थान�वशषे
रामायण – राम का अयन (आ�य)—वा�मी�क र�चत का�
पचंामतृ – पाचँ �कार का अमतृ—�ध, दही, श�कर, गोबर, गोम�ूका रसायन �वशषे
षडद्श�न – षट द्श�न� का समहू—छह �व�श� भारतीय दश�न–�याय,सा�ंय, �तै आ�द
चारपाई – चार पाए ह� �जसके—खाट
�वषधर – �वष को धारण करन वेाला—सापँ
अ�ा�यायी – आठ अ�याय� वाला—पा�ण�न कृत �ाकरण
च�धर – च� धारण करन वेाला—�ीकृ�ण
पतझड़ – वह ऋत �ुजसम�प� झेड़त हे�—बसतं
द�घ�बा� – द�घ� ह�बा� �जसके—�व�णु
प�त�ता – एक प�त का �त लने वेाली—वह ��ी
�तरगंा – तीन रगंो वाला—रा��वज
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अशंमुाली – अशं हु मैाला �जसक�—सयू�
महा�मा – महान ह् आै�मा �जसक�—ऋ�ष
व�त�ुड – व� ह तै�ुड �जसक�—गणशे
�दग�बर – �दशाए हँी ह�व�� �जसके—�शव
घन�याम – जो घन के समान �याम ह—ैकृ�ण
�फु�लकमल – �खल हे�कमल �जसम�—वह तालाब
महावीर – महान ह् जैो वीर—हनमुान व भगवान महावीर
लोकनायक – लोक का नायक ह जैो—जय�काश नारायण
महाका� – महान ह् जैो का�—रामायण, महाभारत आ�द
अनगं – वह जो �बना अगं का ह—ैकामदवे
एकद�त – एक दतं ह �ैजसके—गणशे
नीलक�ठ – नीला ह कै�ठ �जनका—�शव
पीता�बर – पीत (पील)े ह�व�� �जसके—�व�णु
कपी�र – क�प (वानर�) का ई�र ह जैो—हनमुान
वीणापा�ण – वीणा ह �ैजसके पा�ण म�—सर�वती
दवेराज – दवे� का राजा ह जैो—इ��
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हलधर – हल को धारण करन वेाला
श�शधर – श�श को धारण करन वेाला—�शव
दशमखु – दस ह�मखु �जसके—रावण
च�पा�ण – च� ह �ैजसके पा�ण म�– �व�णु
पचंानन – पाचँ ह�आनन �जसके—�शव
प�ासना – प� (कमल) ह आैसन �जसका—ल�मी
मनोज – मन स जे�म लने वेाला—कामदवे
�ग�रधर – �ग�र को धारण करन वेाला—�ीकृ�ण
वसुंधरा – वस (ुधन, र�न) को धारण करती ह जैो—धरती
��लोचन – तीन ह�लोचन (आखँ�) �जसके—�शव
व�ागं – व� के समान अगं ह��जसके—हनमुान
शलूपा�ण – शलू (��शलू) ह पैा�ण म��जसके—�शव
चतभुु�ज – चार ह�भजुाए �ँजसक�—�व�णु
ल�बोदर – ल�बा ह उैदर �जसका—गणशे
च��चड़ू – च��मा ह चैड़ू (ललाट) पर �जसके—�शव
प�ुडरीका� – प�ुडरीक (कमल) के समान अ�� (आखँ�) ह��जसक�—�व�णु
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रघनु�दन – रघ कुा न�दन ह जैो—राम
सतूप�ु – सतू (सारथी) का प�ु ह जैो—कण�
च��मौ�ल – च�� ह मैौ�ल (म�तक) पर �जसके—�शव
चतरुानन – चार ह�आनन (मुँह) �जसके—��ा
अजं�नन�दन – अजं�न का न�दन (प�ु) ह जैो—हनमुान
पकंज – पकं् (क�चड़) म�ज�म लतेा ह जैो—कमल
�नशाचर – �नशा (रा��) म�चर (�वचरण) करता ह जैो—रा�स
मीनकेत –ु मीन के समान केत हु��जसके—�व�णु
ना�भज – ना�भ स जे�मा (उ�प�) ह जैो—��ा
वीणावा�दनी – वीणा बजाती ह जैो—सर�वती
नगराज – नग (पहाड़�) का राजा ह जैो—�हमालय
व�द�ती – व� के समान दातँ ह��जसके—हाथी
मा��तनदंन – मा��त (पवन) का नदंन ह जैो—हनमुान
श�चप�त – श�च का प�त ह जैो—इ��
वस�त�त – वस�त का �त ह जैो—कोयल
गजानन – गज (हाथी) जसैा मखु ह �ैजसका—गणशे
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गजवदन – गज जसैा वदन (मखु) ह �ैजसका—गणशे
��प�ु – ��ा का प�ु ह जैो—नारद
भतूनाथ – भतू� का नाथ ह जैो—�शव
षटपद – छह परै ह��जसके—भ�रा
लकंेश – लकंा का ईश (�वामी) ह जैो—रावण
�स�धजुा – �स�ध मु�ज�मी ह जैो—ल�मी
�दनकर – �दन को करता ह जैो—सयू�
5 - कम�धारय समास –�जस समास म�उ�रपद �धान हो तथा पहला पद �वशषेण अथवाउपमान (�जसके �ारा उपमा द� जाए) हो और �सरा पद �वश�ेयअथवा उपमये (�जसके �ारा तलुना क� जाए) हो, उस केम�धारयसमास कहत हे�।
इस समास के दो �प ह�–
(i) �वशषेता वाचक कम�धारय– इसम��थम पद ��तीय पद क��वशषेता बताता ह।ै जसै –े
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महाराज – महान ह् जैो राजा
महाप�ुष – महान ह् जैो प�ुष
नीलाकाश – नीला ह जैो आकाश
महाक�व – महान ह् जैो क�व
नीलो�पल – नील ह जैो उ�पल (कमल)
महाप�ुष – महान ह् जैो प�ुष
मह�ष�– महान ह् जैो ऋ�ष
महासयंोग – महान ह् जैो सयंोग
शभुागमन – शभु ह जैो आगमन
स�जन – सत ह् जैो जन
महा�मा – महान ह् जैो आ�मा
स�ब�ु� – सत ह् जैो ब�ु�
मदंब�ु� – मदं ह �ैजसक� ब�ु�
मदंा��न – मदं ह जैो अ��न
ब�म�ूय – ब�त ह �ैजसका म�ूय
पणूा�क – पणू� ह जैो अकं
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��ाचार – �� ह जैो आचार
�श�ाचार – �श� ह जैो आचार
अ�णाचल – अ�ण ह जैो अचल
शीतो�ण – जो शीत ह जैो उ�ण है
दवे�ष�– दवे ह जैो ऋ�ष है
परमा�मा – परम ह जैो आ�मा
अधं�व�ास – अधंा ह जैो �व�ास
कृताथ� – कृत (पणू�) हो गया ह �ैजसका अथ� (उ��ेय)
�ढ़��त� – �ढ़ ह �ैजसक� ��त�ा
राज�ष�– राजा ह जैो ऋ�ष है
अधंकूप – अधंा ह जैो कूप
कृ�ण सप� – कृ�ण (काला) ह जैो सप�
नीलगाय – नीली ह जैो गाय
नीलकमल – नीला ह जैो कमल
महाजन – महान ह् जैो जन
महादवे – महान ह् जैो दवे
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�तेा�बर – �ते ह जैो अ�बर
पीता�बर – पीत ह जैो अ�बर
अधपका – आधा ह जैो पका
अध�खला – आधा ह जैो �खला
लाल टोपी – लाल ह जैो टोपी
स�म� – सत ह् जैो धम�
काली�मच� – काली ह जैो �मच�
महा�व�ालय – महान ह् जैो �व�ालय
परमान�द – परम ह जैो आन�द
�रा�मा – �र (्बरुी) ह जैो आ�मा
भलमानषु – भला ह जैो मन�ुय
महासागर – महान ह् जैो सागर
महाकाल – महान ह् जैो काल
महा��प – महान ह् जैो ��प
काप�ुष – कायर ह जैो प�ुष
बड़भागी – बड़ा ह भैा�य �जसका
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कलमुँहा – काला ह मैुँह �जसका
नकटा – नाक कटा ह जैो
जवा मँद� – जवान ह जैो मद�
द�घा�य –ु द�घ� ह �ैजसक� आयु
अधमरा – आधा मरा �आ
�न�व�वाद – �ववाद स �ेनव�ृ
महा�� – महान ह् �ैजसक� ��ा
नलकूप – नल स बेना ह जैो कूप
परकटा – पर ह�कट �ेजसके
�मकटा – �म ह कैट� �जसक�
�ाण��य – ��य ह जैो �ाण� को
अ�पस�ंयक – अ�प ह�जो स�ंया म�
प�ुछलतारा – पूँछ ह �ैजस तार के�
नवाग�तकु – नया ह जैो आग�तकु
व�त�ुड – व� (टढ़े�) ह जैो त�ुड
चौ�सगँा – चार ह��जसके स�ग
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अधजला – आधा ह जैो जला
अ�तव�ृ� – अ�त ह जैो व�ृ�
महारानी – महान ह् जैो रानी
नराधम – नर ह जैो अधम (पापी)
नवद�प�� – नया ह जैो द�प��
(ii) उपमान वाचक कम�धारय– इसम�एक पद उपमान तथा ��तीयपद उपमये होता ह।ै जसै –े
बा�द�ड – बा� ह दै�ड समान
च�ंवदन – च�ंमा के समान वदन (मखु)
कमलनयन – कमल के समान नयन
मखुार�व�द – अर�व�द �पी मखु
मगृनयनी – मगृ के समान नयन� वाली
मीना�ी – मीन के समान आखँ� वाली
च��मखुी – च��मा के समान मखु वाली
च��मखु – च�� के समान मखु
नर�सहँ – �सहँ �पी नर
चरणकमल – कमल �पी चरण
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�ोधा��न – अ��न के समान �ोध
कुसमुकोमल – कुसमु के समान कोमल
��थर�न – र�न �पी ��थ
पाषाण �दय – पाषाण के समान �दय
दहेलता – दहे �पी लता
कनकलता – कनक के समान लता
करकमल – कमल �पी कर
वचनामतृ – अमतृ �पी वचन
अमतृवाणी – अमतृ �पी वाणी
�व�ाधन – �व�ा �पी धन
व�दहे – व� के समान दहे
ससंार सागर – ससंार �पी सागर
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